भरी दुनिया में जी नहीं लगता मेरा,,,,,,,,,,
दिल में एक लहर सी उठी है अभी।
फिर कोई ताजा हवा चली है अभी।।
कुछ तो नाजुक मिजाज हैं हम भी।
और ये चोट भी नई है शायद अभी।।
भरी दुनियां में जी नहीं लगता मेरा।
जाने किस चीज की कमी है अभी।।
याद के बे - निशान जजीरों से।
तेरी आवाज आ रही है अभी।।
शहर की बे - चिराग गलियों में।
जिंदगी तुझ को ढूँढ़ती है अभी।।
सो गए लोग उस हवेली के।
एक खिड़की खुली है अभी।।
तुम तो यारो अभी से उठ बैठे।
शहर में रात जागती है अभी।।
वक्त अच्छा भी आएगा "मनीष"।
गम ना कर जिंदगी पड़ी है अभी।।
✍ Mera Jeevan
फिर कोई ताजा हवा चली है अभी।।
कुछ तो नाजुक मिजाज हैं हम भी।
और ये चोट भी नई है शायद अभी।।
भरी दुनियां में जी नहीं लगता मेरा।
जाने किस चीज की कमी है अभी।।
याद के बे - निशान जजीरों से।
तेरी आवाज आ रही है अभी।।
शहर की बे - चिराग गलियों में।
जिंदगी तुझ को ढूँढ़ती है अभी।।
सो गए लोग उस हवेली के।
एक खिड़की खुली है अभी।।
तुम तो यारो अभी से उठ बैठे।
शहर में रात जागती है अभी।।
वक्त अच्छा भी आएगा "मनीष"।
गम ना कर जिंदगी पड़ी है अभी।।
✍ Mera Jeevan
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