खून के आँसू,,,,,,,,,

मुस्कुराना भी एक अदा है गम छुपाने की सुना।
दोस्त ही घावों पर नमक छिड़कने वाला मिला।।

धूप छाँव सा रंग बदलता मुकद्दर मिला।
दोस्त ही उसकी रुसवाई का कारण मिला।।

दुश्मनों से मुकाबिले की सोचते रहे हम।
इधर अपने दोस्तों के हाथ में खंजर मिला।।

यूँ तो की है दोस्ती निभाने की कसमें  पूरी।
दोस्ती पर पत्थर मारते उसका शहर मिला।।

नजरों ने दिया है किस कद्र धोखा मुझे।
चाँद सा चेहरा बदनामी का सिला मिला ।

देना चाहता था मैं हर किसी को मुस्कुराहट।
उनकी आंखों में खून का एक आंसू मिला।।

दोस्ती निभाना हर किसी शख्स के वश में न था।
बनाने को "मनीष" एक नया दोस्त ओर मिला।।

                ✍ Mera Jeevan

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