दर्द भरी गजल
दिल में अरमान जगा लिया मैंने।
एक समंदर को मुँह चिढ़ाना था।
रेत पर अपना घर बना लिया मैंने।।
अपने दिल को सुकून देने को।
एक परिन्दा उड़ा लिया मैंने।।
आज आईने ढूंढ़ते फिरे मुझको।
ख़ुद को मौत में छुपा लिया मैंने।।
ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर।
आँसुओं का मज़ा लिया मैंने।।
ऐ 'मनीष' चल समेट ले दामन।
जो भी पाना था पा लिया मैंने।।
दिन ख़ुशी से बिता लिया मैंने।।
एक समंदर को मुँह चिढ़ाना था।
रेत पर अपना घर बना लिया मैंने।।
अपने दिल को सुकून देने को।
एक परिन्दा उड़ा लिया मैंने।।
आज आईने ढूंढ़ते फिरे मुझको।
ख़ुद को मौत में छुपा लिया मैंने।।
ओढ़कर मुस्कुराहटें लब पर।
आँसुओं का मज़ा लिया मैंने।।
ऐ 'मनीष' चल समेट ले दामन।
जो भी पाना था पा लिया मैंने।।
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