दर्द भरी गजल,,,,,,यूं ही बदनाम मत कर,,,,,,,,,,

ये दोस्ती-रिस्ते-नाते सब मतलब के बने हैं।
हर किसी पर तु ऐसे चाहकर प्रहार मत कर।।

कह दिया चले जाओ अपनी राह डगर पर।
यूं बार-बार जलाने की कोशिश हजार मत कर।।

जानकर भी सब मौन हूँ मेरे मीत तुझसे।
मेरी शराफतों को तू यूं ही बदनाम मत कर।।

ये दुनियां है बदनाम करते देर न करती।
तमाशा अपनी फितरत का सरेआम मत कर।।

यार ने खंजर चलाए जाने-अनजाने में यकीनन।
इस कदर बेवफाई-ऐ-सौदाई तार-तार मत कर।।

हर किसी को हक है कि वो कैसे जीये मगर।
अपने दिल को नफरतों का गुलाम मत कर।।

ये ख्वाब तो टूटने के लिए ही होते हैं " मनीष "।
महाकाल के वास्ते औरों का जीना हराम मत कर।।

             ✍ Mera Jeevan

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