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Showing posts from January, 2020

तिरंगे में लिपट जाऊंगा,,,,,,,

जब भी दुश्मन का मन डोलेगा गन्दा कभी। बिजली बनकर उनको जला जाऊंगा।। मेरा ईमान मेरा धर्म मेरा कर्म मेरा वतन। ऐ वतन तुझपे कुर्बान सब कर जाऊंगा। सीमा पर खड़ा रहूंगा बनकर चौकीदार मैं। घुसपैठियों के सिर कलम कर जाऊंगा।। गिरेगी लाशें तेरी गोद में वीरों की कभी। दहकता शोला बनकर सब को जला जाऊंगा।। क्या होती है महोब्बत वतन ऐ परस्तों। मातृभूमि की रक्षा हेतु फांसी चुम जाऊंगा।। आएगी दामन पर आंच कभी भारत माता। मेरे लहू से तेरी मांग सजा जाऊंगा।। करेगा दुश्मन घाव तेरे आँचल पर भारत माता। दुश्मनों के नरमुंडों की जयमाला पहनाऊंगा।। लडूंगा अंतिम सांस जब तक लहू रहेगा। अखण्ड भारत में तिरंगा ध्वज लहराऊंगा।। घिर जाऊंगा अकेला दुश्मनों में नगमे तेरे ही गाऊंगा। गोद में सिर रखकर "मनीष" तिरंगे में लिपट जाऊंगा।।                  ✍ Mera Jeevan

जिंदगी अब तुझको भी रुलाऊंगा,,,,,,,,,,,

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पुरुष हूँ गिरकर उठकर दौड़ मैं अब फिर से लगाऊंगा। दिए जख्म - ऐ - जख्म जिंदगी अब तुझको भी रुलाऊंगा।। रिस्ते - नाते सब मतलब के बने होते समझ नहीं आया। एक दिन संसार के बनाये नियम भी तोड़ जाऊंगा।। अच्छा सिला किया मेरी वफाओ का लोगों ने मजबूरी। बेवफाओ के दिल में प्रेम की एक लौ जला जाऊँगा।। चलते हैं झूठ के सहारे अपना अहम् मतलब साधने। उनको भी समय रहते सच्चाई का पाठ पढ़ा जाऊँगा।। जिनको रास नहीं मेरे उसूलों जिंदगी जीने का तरीका। उनकी आंखों से भी खून के आंसू बहा जाऊँगा।। खत्म हो चुका हूँ संघर्षों से "मनीष" कमाल कर जाऊंगा। डूबता हुआ सूरज हूँ जाते जाते आसमान लाल कर जाऊंगा।।                     ✍ Mera Jeevan

खून के आँसू,,,,,,,,,

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मुस्कुराना भी एक अदा है गम छुपाने की सुना। दोस्त ही घावों पर नमक छिड़कने वाला मिला।। धूप छाँव सा रंग बदलता मुकद्दर मिला। दोस्त ही उसकी रुसवाई का कारण मिला।। दुश्मनों से मुकाबिले की सोचते रहे हम। इधर अपने दोस्तों के हाथ में खंजर मिला।। यूँ तो की है दोस्ती निभाने की कसमें  पूरी। दोस्ती पर पत्थर मारते उसका शहर मिला।। नजरों ने दिया है किस कद्र धोखा मुझे। चाँद सा चेहरा बदनामी का सिला मिला । देना चाहता था मैं हर किसी को मुस्कुराहट। उनकी आंखों में खून का एक आंसू मिला।। दोस्ती निभाना हर किसी शख्स के वश में न था। बनाने को "मनीष" एक नया दोस्त ओर मिला।।                 ✍ Mera Jeevan

दर्द भरी गजल,,,,,,यूं ही बदनाम मत कर,,,,,,,,,,

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ये दोस्ती-रिस्ते-नाते सब मतलब के बने हैं। हर किसी पर तु ऐसे चाहकर प्रहार मत कर।। कह दिया चले जाओ अपनी राह डगर पर। यूं बार-बार जलाने की कोशिश हजार मत कर।। जानकर भी सब मौन हूँ मेरे मीत तुझसे। मेरी शराफतों को तू यूं ही बदनाम मत कर।। ये दुनियां है बदनाम करते देर न करती। तमाशा अपनी फितरत का सरेआम मत कर।। यार ने खंजर चलाए जाने-अनजाने में यकीनन। इस कदर बेवफाई-ऐ-सौदाई तार-तार मत कर।। हर किसी को हक है कि वो कैसे जीये मगर। अपने दिल को नफरतों का गुलाम मत कर।। ये ख्वाब तो टूटने के लिए ही होते हैं " मनीष "। महाकाल के वास्ते औरों का जीना हराम मत कर।।              ✍ Mera Jeevan

पिता की याद दर्द भरी गजल,,,,,,शहर सूना कर गये,,,,,,,,,

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तुम गए क्या यह शहर सूना कर गये। दर्द का  आकार  दुगुना जो कर गये।। जानता हूँ नहीं सुनाओगे मुझे जीवन की कथाएँ। शहर भर की सूचनाएँ उम्र भर की व्यस्तताएँ।। पर जिन्हें अपना बनाकर भूल गए हो सदा तुम। वे तुम्हारे बिन तुम्हारी वेदना किसको सुनाएँ।। फिर मेरा जीवन उदासी का नमूना कर गये। तुम गए क्या यह शहर सूना कर गये।। "मनीष" शमशान में तुम्हारी याद के तराने बुन रहा था। वक्त खुद जिनको मगन हो सांस कल थामे सुन रहा था।। तुम अगर कुछ साल रूकते तो तुम्हें मालूम होता। किस तरह बिखरे पलों में मैं बहाने चुन रहा था।। रात भर हाँ-हाँ किया पर प्रातः ना कर पाये। तुम गए क्या यह शहर सूना कर गये।।         ✍ Mera Jeevan

एक गजल और बना ले तो चले जाएंगे,,,,,,,,

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गिरते दिल को बचा लें तो चले जाएंगे। हासिल यकीनन भुला दें तो चले जाएंगे।। बड़ा ही बोझ है सिर पे तेरे एहसानों का। शुक्रिया जिंदगी कह लें तो चले जाएंगे।। फिर कहाँ उससे मुलाकात कभी होनी है। जहन में चेहरा बसा लें तो चले जाएंगेI जाने क्यूँ अब भी वो अपना सा हमें लगता है। उसे अब बेगाना बना लें तो चले जाएंगेI। मेरे ही अपनो ने ही खाक की तकदीर मेरी। मरहम -ए -चाँद लगा लें तो चले जाएंगेI सुकून देते हैं अल्फाज भी पन्नों पर "मनीष"। एक गजल और बना लें तो चले जाएंगे।।           ✍ Mera Jeevan

भरी दुनिया में जी नहीं लगता मेरा,,,,,,,,,,

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दिल में एक लहर  सी उठी है अभी। फिर कोई ताजा हवा चली है अभी।। कुछ तो नाजुक मिजाज हैं हम भी। और ये चोट भी नई है शायद अभी।। भरी दुनियां में जी नहीं लगता मेरा। जाने किस चीज की कमी है अभी।। याद के बे - निशान जजीरों से। तेरी  आवाज आ रही है अभी।। शहर की बे - चिराग गलियों में। जिंदगी तुझ को ढूँढ़ती है अभी।। सो गए लोग  उस हवेली के। एक खिड़की खुली है अभी।। तुम तो यारो अभी से उठ बैठे। शहर में रात  जागती है अभी।। वक्त अच्छा  भी आएगा "मनीष"। गम ना कर जिंदगी पड़ी है अभी।।         ✍ Mera Jeevan

मेरा जीवन रिस्तों का तीर ,,,,,,,,

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जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला। मेरे स्वागत को हर एक जेब से खंजर निकला।। तितलियों फूलों का लगता था जहाँ पर मेला। प्यार का गाँव वो बारूद का दफ्तर निकला।। डूब कर जिसमें उबर पाया न मैं जीवन भर। एक आँसू का वो कतरा तो समुंदर निकला।। मेरे होठों पे दुआ उसकी जुबां पे गाली। जिसके अन्दर जो छुपा था वही बाहर निकला।। जिंदगी भर मैं जिसे देख कर इतराता रहा। मेरा सब रूप वो मिट्टी की धरोहर निकला।। वो तेरे द्वार पे हर रोज ही आया लेकिन। नींद टूटी तेरी जब हाथ से अवसर निकला।। रूखी रोटी भी सदा बाँट के जिसने खाई। वो भिखारी तो शहंशाहों से बढ़ कर निकला।। क्या अजब है इंसान का दिल भी "मनीष"। मोम निकला ये कभी तो कभी पत्थर निकला।।                ✍ Mera Jeevan

मेरे घर को जलाकर उदास था,,,,,,,,,,,,,

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क्यों दुश्मनी वो मुझसे निभाकर कर उदास था। जो शख्श मेरे घर को जलाकर उदास था।। चेहरे पे मेरे देखना चाहा था उसने क्या। आईना मुझको क्यों वो दिखाकर उदास था।। जाने हुआ यह क्या मुझे छोड़ने के बाद। दौलत जमाने भर की कमाकर उदास था।। मेरी दुआ में कुछ तो कमी रह गई तभी। हक में वो मेरे हाथ उठाकर उदास था।। नाराजगी भी मुझसे बड़ी महंगी पड़ी उसे।  खुशियों को अपने दिल में बसा कर उदास था।। गजलों में मेरी जाने क्या आया उसे नजर। शेरों पे तालियां वो भी बजाकर उदास था।। नजदीकतर थे कितने और कैसे थे "मनीष"। जिनके करीबतर भी वो जाकर उदास था।।            ✍ Mera Jeeavn

दफन मेरी सांसे दास्तां सुनाएगी,,,,,,,,,,,

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मैं जो टूटा दिल रख यहाँ से चला जाऊँगा। लाख कोशिश करो फिर लौट के ना आऊँगा।। दफन मेरी सासों से भी तेरी ही खूशबू आयेगी। खामोश हवाएं तुम्हें मेरे इश्क की दास्तां सुनायेगी।। साथ अपने कुछ और नहीं बस तेरी बेवफाई ले जा रहा हूं। बदनाम ना हो जाए तू तेरे खतों को सीने से लगाए जा रहा हूं।। दिलों से खेलने का ये शौक छोड़ दो बस इतनी सी गुजारिश है जो। करो इश्क तो निभाओ शिद्दत से बस इतनी सी सिफारिश है।।             ✍ Mera Jeevan