रिश्तों के तीर ✍Mera Jeevan

कभी मासूम सूरत देख ऐतबार न कर।
दिलो दिमाग से परखे बिना तू प्यार न कर।।

मिलाकर दिल प्यार कर, पर बलात्कार न कर।
किसी ग़रीब की अस्मत तू तार-तार न कर।।

शैतान को तो ज़रूरी है कुछ सबक सिखाना।
किसी शरीफ़-से इंसान का शिकार न कर।।

वफा से रिश्ता निभाना ताउम्र साथ देकर।
फरेब कर जी दुखा जिंदगी ये खार न कर।।

सफ़र में छोड़ गया यार लौट आता नहीं।
बेवफा यार का बिलकुल तू इंतज़ार न कर।।

सहज सरल प्यार का बाँध चलता है बरसों।
चालाकी के वार से चटका तू दरार न कर।।

बगल से यार की कतरा निकलना ठीक नहीं।
करार जिससे मिले उसको बेकरार न कर।।

कभी ज़माने से डरकर ये प्यार चलता नहीं।
यक़ीन के मुकाम
पर शक़ से तू प्रहार न कर।।

मिलें दो दिल तो दिलो जान जरूर वार देना।
तू एक तरफा किसी से मगर करार न कर।।

ये तंग प्रेम गली दो के वास्ते बनी है।
प्रवेश से तीसरे के जीवन बेकार न कर।।

रुप स्नेह दावानल सा है सुलगता स्वयं।
किसी को मजबूर कर अश्को बौछार न कर।।

              ✍Mera Jeevan

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