मेरा जीवन रिश्तो का तीर
वक्त कब किसका हुआ जो अब मेरा होगा।
बुरे बक्त को जानकर सब्र किया मैनें।।
किसी को चाहतें रहना कोई गुनाह तो नहीं।
चाहत का इजहार न करने का गुनाह किया मैंने।।
रिश्तों की जमा पूंजी मुझे बेहतर कौन जानेगा।
तन्हा रहकर जिंदगी में गुजारा किया मैंने।।
अब तू भी नहीं तेरी यादों की खुशबु भी नहीं।
दूर रहकर तेरी याद में हर पल जिया मैनें।।
गम मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है।
जब हर गम को दबा कर पिया मैंने।।
बुरे बक्त को जानकर सब्र किया मैनें।।
किसी को चाहतें रहना कोई गुनाह तो नहीं।
चाहत का इजहार न करने का गुनाह किया मैंने।।
रिश्तों की जमा पूंजी मुझे बेहतर कौन जानेगा।
तन्हा रहकर जिंदगी में गुजारा किया मैंने।।
अब तू भी नहीं तेरी यादों की खुशबु भी नहीं।
दूर रहकर तेरी याद में हर पल जिया मैनें।।
गम मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है।
जब हर गम को दबा कर पिया मैंने।।
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