तन्हा रहकर ख्वाबों के संग जीना सीख लिया मैंने,
हँसकर के अपने अश्कों को पीना सीख लिया मैंने।
सभी ख्वाहिशें मन ही मन रह जाती हैं न जाने क्यों ?
शायद अपने होठों को भी सीना सीख लिया मैंने।।

Manish Saini........

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