भाई बहन का अनूठा प्रेम........

वो धीरे से मुस्कुराना और वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाना।
समझना मेरी हर बात को और मुझे हर बात समझाना।।

वो शाम ढले करना बातें मुझसे और अपनी हर बात मुझे बताना।
सुनके मेरी बेवकूफियां तुम्हारा ज़ोर से हंस जाना।।

मेरी हर गलती पे लगाना डांट और फिर उस डांट के बाद मुझे प्यार से समझाना।
कोई और न होगा तुमसे प्यारा मुझे यह आज मैंने है जाना।।

वो राखी और भाई-दूज पे तुम्हारा टीका लगाना।
कुमकुम मैं डूबी ऊँगली से मेरा माथा सजाना।।

खिलाना मुझे मिठाई प्यार से और दिल से दुआ दे जाना।
बाँध के धागा कलाई पे मेरी अपने प्यार को जताना।।

कभी बन जाना माँ मेरी और कभी दोस्त बन जाना।
देना नसीहतें मुझे और हिदायतें दोहराना।।

जब छाये गम का अँधेरा तो खुशी की किरण बनके आना।
हाँ मैंने तुम्ही से तो सिखा है मैंने गम मैं मुस्कुराना।।

कहता है मन मेरा रहके दूर तुमसे मुझे अब एक लम्हा भी नही बिताना।
अब बस "मनीष" को तो है अपनी "लाडो जीजी" के पास है जाना।।

हैं बहुत से एहसास दिल मैं समाये पता नही अब इन्हे कैसे है समझाना।
बस जान लो इतना "जीजी" बहुत याद आता है तुम्हारा "भाई" कहके बुलाना।।
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               ✍ Mera Jeevan
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                        एक अनजाना पागल भाई

Ajitgarh, (Sikar) Rajasthan

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